हवन और यज्ञ भारतीय परंपरा या हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है। हवन कुण्ड में अग्नि के माध्यम से ईश्वर को प्रशन्न करने के लिए हवन किए जते है। यह एक अनुष्ठान है जिसमें भगवान के लिए भोजन आदि का प्रसाद विशेष अवसर पर सौभाग्य प्राप्त करने के लिए जलाया जाता है।
हवन को किसी भी पूजा का प्रमुख हिस्सा माना जाता है। पवित्रता और पवित्रता जो एक हवन बना सकता है, किसी भी अन्य प्रक्रिया की तुलना में बहुत अधिक है। होम या हवन एक पवित्र हिंदू अनुष्ठान है जिसमें अग्नि को प्रसाद के रूप में दिया जाता है।
हवन-सामग्री:आयुर्वेदिक हवन देशी जड़ी-बूटियों, काले तिल, जो, 30 प्रकार के धुप, भीमसेनी कपूर, गुलाब की पंखुड़ियों, चंदन पाउडर, लोबान, घी, चंदन, नागकेसर, तगर, अगर, वला, लाल चंदन पाउडर, नागरमोथा, कमल के बीज, जटाओं से बनाया जाता है। मासी, बत्रिसो धोप, कपूर कचहरी, सतवारी, हल्दी।
हवन हवन-सामग्री के साथ-साथ आध्यात्मिक सफलता प्राप्त करने के उद्देश्य से किया जाता है। हवन बलिदानों का प्रतीक है जो मनुष्य आध्यात्मिक आनंद प्राप्त करने के लिए भगवान के सामने करता है। हवन के माध्यम से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा एक व्यक्ति को सकारात्मक सोच से भर देती है।
श्री पूजा :- गणपति, विष्णु-लक्ष्मी, शिव, दुर्गा, हनुमान, पंञ्चांग-पीठ, नौ-ग्रह, अधि-प्रत्यधि, देवी-देवता, मातृ-पितृ, गुरु, गौ, ब्राह्मण, कलश, नींव, भूमि, भवन, ग्रह-प्रवेश, वर्ष-कृत, पूजनोत्सव इत्यादी ।
श्री पाठ :- रूद्री (साधारण/नमक चमक) दुर्गा सप्तशती (साधारण/सम्पुटित) व अन्य सभी देवी देवता स्तोत्र चालीसा घन घन्नोत्तर पाठोत्सव इत्यादी ।
श्री जप :- महामृत्युंजय, मृत-संजीवनी, संतान-गोपाल, गायत्री, पितृ-गायत्री, नवग्रह, वास्तु , गण्डमूलादि, 28 नक्षत्र, 12 द्वादश-काल-सर्प योग, मंगला-मंगली, समस्त दोष शान्ति, पुनश्चरण, जपोत्सव इत्यादी ।
श्री यज्ञ :- गायत्री, विष्णु , लक्ष्मी, शिव, देवी, रूद्र, चण्डी, शत् , शहस्र , लक्ष , अखण्ड, पितृ व समस्त महायज्ञोत्सव इत्यादी ।
श्री कथा :- श्री मद्-भागवत, राम, अष्टादश 18 पुरांण, सत्संग-प्रवचन, शिव-चर्चा इत्यादी ।
श्री संगीतमय :- रामायण, सुन्दर-काण्ड, भजन-संध्या, चौकी-जागरण, हर्रिनाम, संकीर्तनोत्सव इत्यादी ।
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